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Wednesday 31 October 2012
daideeptya : आज चौक फैजाबाद से गुज़रने का मौका मिला,भारी भीड़ में...
daideeptya : आज चौक फैजाबाद से गुज़रने का मौका मिला,भारी भीड़ में...: आज चौक फैजाबाद से गुज़रने का मौका मिला,भारी भीड़ में जो कुछ भी देखने को मिला सचमुच भयावह था, "कल चमन था आज एक सेहरा हुआ देखते ही देखते ये क्य...
आज चौक फैजाबाद से गुज़रने का मौका मिला,भारी भीड़ में जो कुछ भी देखने को मिला सचमुच भयावह था, "कल चमन था आज एक सेहरा हुआ देखते ही देखते ये क्या हुआ............." गीत की पंक्तियाँ याद आ रही थी,मायूश दुकानदार अपनी अपनी दुकानों का मलबा बाहर निकाल रहे थे तो कोई सन्न मरे हाथ बंधे अपनी दूकान के आगे बैठा था। ये वही चौक था जहाँ न जाने कितने ही धार्मिक आयोजन होते ही रहते हैं और कभी भी धार्मिक उन्माद देखने को नहीं मिला।. बड़े दुकानदारों के पास मान लो कुछ पूँजी तो होगी ही,पर उनका क्या जो छोटी सी तनख्वाह पर उन दुकानों पर काम करते थे और परिवार की गाड़ी चलाते थे ,उन पर तो मानो समस्याओं का पहाड़ टूट पड़ा। सबसे ज्यादा असर आने वाले समय पर पर पड़ेगा,क्योंकि नफरत का जो सर्प ज़हर उगल कर चला गया है,उसकी लकीर को पीट कर अपनी सियासी रोटियां सेकने वालों की कमी नहीं है, वे लोग बार बार सामान्य हो रहे हालात पर सन्देह का पर्दा डालने की कोशिश करते रहेंगे। कुछ भी हो एक सभ्य समाज के लिए इस तरह की घटनाएँ निंदनीय हैं।
Tuesday 30 October 2012
जल उठा फैजाबाद
हालात अंगड़ाई ले रहे हैं फिर से रफ़्तार पकड़ने के लिए ,कुछ लफंगों के करतूतों ने जैसे सभ्यता को कलंकित कर दिया,सांप के निकल जाने के बाद लकीर पीटना फालतू और सियासतबाज़ों का काम है,आम आदमी को सबसे पहले अपनी कमाई और काम की चिंता है. आपसी सोहार्द की जड़ें गहरी हैं , फिर से ज़िन्दगी रफ़्तार पकड़ेगी और फिजां की कड़वाहट कम होगी , आपसी भाईचारे की मिशाल के ढेरों उदाहरण इस जुड़वाँ शहर को गौरवान्वित करते आये हैं और करते रहेंगे बस जरा से धैर्य और संयम की जरूरत है।
Sunday 28 October 2012
जल उठा फैजाबाद !
चुप भी रहो
अब बंद करो
अपनी सियासी
बदजुबानी,
क्या हुआ
कैसे हुआ
सब जानते है,
ये भी जानते हैं
कि तुम्हारी नीयत
और नज़र में
खोट है,
क्या हिन्दू
क्या मुस्लिम
इंसान न होकर,
तुम्हारी नज़र में
बस
एक वोट है।
अब बंद करो
अपनी सियासी
बदजुबानी,
क्या हुआ
कैसे हुआ
सब जानते है,
ये भी जानते हैं
कि तुम्हारी नीयत
और नज़र में
खोट है,
क्या हिन्दू
क्या मुस्लिम
इंसान न होकर,
तुम्हारी नज़र में
बस
एक वोट है।
Friday 26 October 2012
रावन
वो तो एक रावन था,
सचमुच बड़ा ही ज़ालिम था,
किन्तु परम ज्ञानी था,
हाँ बहुत अभिमानी था,
अभिमान था उसे
अपनी शक्ति पर
सचमुच बड़ा ही ज़ालिम था,
किन्तु परम ज्ञानी था,
हाँ बहुत अभिमानी था,
अभिमान था उसे
अपनी शक्ति पर
अपनी भक्ति पर,
अपनी एक गलती पर
राम के हाथों मारा गया,
फिर हर वर्ष जलाया गया,
आज कितने ही रावन हैं,
न शक्ति है
न भक्ति है
न ज्ञान है
परन्तु बड़ा अभिमान है,
हे राम...वो तो एक था,
और वो भी मर गया.....
अपनी एक गलती पर
राम के हाथों मारा गया,
फिर हर वर्ष जलाया गया,
आज कितने ही रावन हैं,
न शक्ति है
न भक्ति है
न ज्ञान है
परन्तु बड़ा अभिमान है,
हे राम...वो तो एक था,
और वो भी मर गया.....
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