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Saturday 19 December 2015

"खुशियों की तलाश करें"






मरीचिकाओं में
तरसती प्यास ,
आंसुओं की बूंद से
बुझती नहीं है ,
दर्द के सायों को
बदन पर लपेटे,
चलो आज
खुशियों की तलाश करें...

सर्द कोहरे ने
अपने साये में
छिपायी जरूर होगी
गुनगुनी धूप,
ठिठुरते हुये ही सही ,
चलो आज
उस धूप की तलाश करें ...

दरकते छत की
दरारों में श्वांस लेते
मकड़ी जैसे
कितने जीवन,
निराशाओं के ढेर में
चलो आज
आशाओं की तलाश करें ,
चलो आज
खुशियों की तलाश करें...


अनिल कुमार सिंह

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