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Sunday 31 July 2016

वृक्ष,सकारात्मक जीवन के प्रतिबिंब

वृक्ष धरा पर हैं खड़े ,
ऊर्ध्व गर्वित, सीना ताने,
खिलखिलाते ये सभी मधुमास में ,
अश्रु की धारा बहाते भीगते कुहास में,
पतझड़ों में अपनों ने ही , पृथक हो रुला दिया,
शीघ्र ही नंगे बदन को ,नवकोपलों ने छिपा लिया,
सुख दु:ख सी ऋतुओं में ध्वजा से, रंग बदलते बिम्ब हैं ,
सच कहूँ तो सकारात्मक जीवन के, ये सच्चे प्रतिबिंब हैं .........

अनिल

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